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मध्य प्रदेश का प्रागैतिहासिक इतिहास

 मध्य प्रदेश का प्रागैतिहासिक काल

                        (prehistoric period of madhya pradesh)

                 इतिहास से पूर्व के काल को प्रागैतिहासिक काल कहते है | इस काल में मानव लिपि से परिचित नहीं  था |   मध्य प्रदेश में प्राचीन से लेकर नवीन चट्टानों का प्रतिनिधित्व मिलता है | ऐतिहासिक स्थलों पर शोध व उत्खनन के बाद प्राप्त हुए साक्ष्य की बनावट के आधार पर मध्यप्रदेश का प्राचीन इतिहास विभिन्न वर्गों में बांटा हुआ है | इसका वर्गीकरण भी हमारे भारतीय इतिहास का ही समरूप है | प्रागैतिहासिक काल को तीन वर्गों में बांटा गया है -`

  • पुरापाषाण काल  ( Paleolithic age )
  • मध्य पाषाण काल  ( Mesolithic age )
  • नव पाषाण काल ( Neolithic age )

पुरापाषाण काल ( Paleolithic age )
                    
                        पुरापाषाण काल का समय लगभग 2.5 लाख ई.पूर्व से 10,000  ई. पूर्व रहा है | इस युग में मानव जानवरो की तरह जंगलो, पर्वतो ओर नदी घाटियों में जीवन यापन करता था | इस काल  के मानव ने औजार बनाना आरंभ कर दिया  था | इस काल के मानव को खेती और घर बनाने का ज्ञान नहीं था | 
    


          प्रागैतिहासिक काल में होने वाले जलवायु परिवर्तन तथा औजारों की बनावट क आधार पर निम्न तीन वर्गों में बांटा गया है -

  1. निम्न पुरापाषाण काल  ( Lower paleolithic age )
  2. मध्य पुरापाषाण काल   ( Middle paleolithic age )
  3. उच्च पुरापाषाण काल    ( High  paleolithic age )

1 .  निम्न पुरापाषाण काल  ( Lower paleolithic age ) - 
        इस काल के अवशेष मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी से प्राप्त हुए है | इस काल में की गयी खोज निम्न है -




  • एच. डी. सांकलिया, मैक क्राउन, आर. बी. जोशी द्वारा नर्मदा घाटी सर्वेक्षण किया गया | 
  • हथनौरा नामक स्थान से मानव की खोपड़ी के अवशेष प्राप्त हुए |
  • महादेव पिपरिया से सुपेकर महादेव को 860 औजार मिले | 
  • होशंगाबाद, नरसिंघपुर  से पुरातन जीवाश्म प्राप्त हुए | 
  • सोन घाटी से निसार अहमद ने उपकरणों की खोज की | 
  • डी. टेरा व पीटरसन को कुल्हाड़ी प्राप्त हुए | 
  • पी. खत्री  ने कुल्हाड़ी  और औजारों का संग्रहण किया | 
  • बेतवा घाटी व भीमबेटका से औजार प्राप्त हुए | 
  • चम्बल घाटी में  वाकणकर को मंदसौर से औजार प्राप्त हुए | 
  • बी.बी. लाल ने ग्वालियर व जी. शर्मा ने रीवा, सतना क्षेत्रों में उत्खनन कार्य किया | 
2. मध्य पुरापाषाण काल  ( Middle paleolithic age )- इस काल में शल्क  उपकरणों का उपयोग बढ़ गया | मुख्या औजारों को पत्थर की पपड़ियों से तैयार किया  जाने लगा | जिनमे से वेधनियाँ और फलक जैसे हथियार प्रचुर मात्रा में मिले है | 


  • इस काल के साक्ष्य मंडल में सुपेकर द्वारा किये गए सर्वेक्षण में प्राप्त हुए | 
  • सोन नदी घाटी से 464 औजार मिले है | 
  • मंदसौर, नाहरगढ़, इंदौर, सीहोर, भीमबेटका से भी इस काल के प्रमाण प्राप्त हुए है | 

3. उच्च पुरापाषाण काल  ( High paleolithic age )- 
  • इस काल की जलवायु में आद्रता  कम हो गयी थी | 
  • आधुनिक मानव "होमोसेपियंस"  का उदय भी इसी काल में हुआ था | 


  • मध्यप्रदेश में स्थित भीमबेटका, रीवा, सोनघाटी क्षेत्र, शहडोल क्षेत्र से भी उपकरण प्राप्त हुए है | 
  • इस काल के औजार अधिक नुकीले व चमकीले हुआ करते थे |
मध्य पाषाण काल ( Mesolithic age )  10,000 ई.पूर्व -
  •  मध्यप्रदेश में सन 1964 में आर. बी.जोशी ने होशंगाबाद जिले में स्थित  "आदमगढ़ शैलाश्रय " में लगभग 25 हजार लघु पाषाण उपकरण प्राप्त किए |
  • बी.बी. मिश्रा द्वारा किये गए उत्खनन कार्यो द्वारा भीमबेटका से ब्लेड उपकरण प्राप्त हुए है | 

                                                         " आदमगढ़ की पहाड़िया एवं शैलाश्रय  "                                             

नव पाषाण काल ( Neolithic age ) 5000 ई. पूर्व  -
 इस काल के मानव को स्थायी निवास, कृषि , पशुपालन , शवाधान की प्रक्रिया , अग्नि के उपयोग का ज्ञान हो चूका था |
  • इस काल में पत्थरो क साथ - साथ हड्डियों से भी औजार बनाये जाते थे | 
  • मध्यप्रदेश में स्थित एरण, जतकारा , दमोह ,सागर, आदमगढ़ (होशंगाबाद ), जबलपुर आदि क्षेत्रो में नव पाषाणकालीन संस्कृतिके साक्ष्य मिले है | 


 
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